जिंदगी सिर्फ जिंदगी है

ये इल्म का सौदा,ये रिसाले और ये किताबें

एक शख्स की यादों को भुलाने के लिए हैं।

जब कोई बहुत दिल दुखाये तो क्या करना चाहिए ?

सोचा और बहुत सोचा , नतीजा ? अरे छोड़िये जनाब … जो नतीजे निकल आते ख्वाबों से भरे दिलों से तो वो इस क़दर चकनाचूर ही क्यों होते …ख़ैर! बात ये है जी की अगर कोई दिल बहुत दुखाये आपका तो खामखाँ खुद को अलगाने की जगह सौंप ही क्यों न दें उस बेमुराद को । पत्थरों को यूँ ही कोसने से बेहतर है उन्हें समझे । क्यों न सूखी हुई इस दुनिया में ख्वाबों ,हसरतों और मुहब्बतों वाले लोग फैल पड़े इस दुनिया में हुजूम बना कर और उखाड़ फेंकें सल्तनतें उन जड़े हुए बेमुरौवत जिस्मों की । बेनक़ाब कर दें उनकी रगों में बहती हुई धड़कनो को,जो ऐसा हो गया न तो जी दिल दुखाने वालों के ज़ख़्मी दिल भी सामने आ जायेंगे । निहायत ही डरपोक लोग होते है जी ये । आपने भी देखा होगा पत्थर ही चटकते हैं रेत तो जी बस फिसल पड़ती है नरम और हस्सास।

और चलती बार एक सवाल उन पत्थर दिलों से अपने दिलों को इतना बांध क्यों रखा है जी ? आपकी धड़कने ही आपको छू नहीं पाती । हमें दर्द होता है ,अपने दर्द से नहीं , काठ के इन जिस्मों में कैद बिसूरती हुई धड़कनों को देखकर । अपने पर कुछ तो रहम खाइये ।

Leave a comment